इस बीमारी से बचा तो मरीजों के लिए कर दिया नायाब आविष्कार
सेहतराग टीम
आमतौर पर कैंसर से जुझने वाले मरीजों का पूरा ध्यान अपनी बीमारी और उससे किसी भी तरह उबर जाने पर ही होता है। कम ही लोग होते हैं जो इस स्थिति में भी दूसरों के बारे में सोचते रहते हैं। आस्ट्रेलिया में एक मरीज ने अपनी गंभीर बीमारी के दौरान भी लोगों की भलाई के बारे में सोचना नहीं बंद किया।
आस्ट्रेलिया में ल्यूकेमिया (कैंसर का एक ऐसा प्रकार, जब बड़ी संख्या में असमान्य श्वेत रक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं) बीमारी से उबरे एक युवक ने मरीजों के लिए कम लागत वाला एक स्मार्ट झुकावदार बेड तैयार किया है जिसके बारे में उसका कहना है कि वह मरीजों को बेड से गिरने और बिस्तर पर पड़े रहने से होने वाले त्वचा विकार (प्रेशर सोर) को रोकने में मदद पहुंचा सकता है।
निखिल औतार को इन सस्ते बेडों को तैयार करने के विचार पर आगे बढ़ने की प्रेरणा तब मिली जब वह रोकी जा सकने लायक इन घटनाओं के चलते अपने दो-तीन दोस्तों को गंवा बैठे। औतार जब 17 साल के थे तब पता चला था कि वह ल्यूकेमिया से ग्रस्त हैं।
उन्होंने कहा, ‘एक मित्र 28 साल की थी, जब वह बाथरूम में गिर गयी। मेडिकल अनुसंधानकर्ता होने के नाते मेरे पास शोधपत्रों पर गौर करने की क्षमता थी तथा मैंने इन रोकी जा सकने वाली चीजों का अध्ययन शुरु किया, उनमें कुछ घटनाएं, जिनकी वजह से जान चली जाती थी, गिर जाना और प्रेशर सोर थीं।’
न्यू साउथवेल्स विश्वविद्यालय के मेडिकल विद्यार्थी ने कहा कि सुविधाओं से लैस आम बेडों की तुलना में अस्पताल के बेडों से गिरने की दर 30 फीसद कम हो जाती है।
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने साहित्य देखा, मैंने देखा कि अस्पताल के बेडों से गिरने की दरें कम हैं क्योंकि वे लोगों को बैठने और उठने में मदद करते हैं-- यही से स्मार्ट झुकावदार बेड का विचार दिमाग में आया।’
इस 25 वर्षीय विद्यार्थी ने अस्पतालों के महंगे बेडों की तुलना में बहुत कम लागत में स्मार्ट बेड तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ एनएसडब्ल्यू बिजनस स्कूल के विद्यार्थी सचिन किंगन के साथ मिलकर ‘गेट टू स्लीप इजी’ नामक स्टार्ट अप की स्थापना की।
सेहत न्यूज से कुछ और खबरें:
2050 तक भारत की 20 फीसदी आबादी बूढ़ी हो जाएगी
कैसे हो इलाज, देश में छह लाख डॉक्टरों की कमी
कैंसर के इलाज की 390 दवाएं करीब 90 फीसदी तक सस्ती हुईं
Comments (0)
Facebook Comments (0)